Wednesday, October 20, 2010

जनता मिल गई

आज जनता मिल गई, वही जनता जिसकी वोट के अलावा कोई चिंता नहीं की जाती, आपस में उलझी, परेशान, दुनिया भर कि इधर-उधर कि बातों में मशगूल. मजमा लगा देख मैं भी उसमें खुद को शामिल करने से रोक नहीं सका. तब पाया कि जनता इसलिए बहुत परेशान थी कि नेताओं ने राष्ट्र हित के समय उसका ध्यान एकदम नहीं रखा. दरअसल जनता को भी राष्ट्र हित बहुत अच्छा लगता है पर यह नेता लोग हैं कि उन्हें इस काबिल मानते ही नहीं. जनता में से एक का उलाहना था कि अब देखिए गडकरी साहब भी कह रहे हैं कि हमारे पास कामनवेल्थ गेम्स में भ्रष्टाचार के पुख्ता प्रमाण हैं. लेकिन हमने गेम्स के पहले कोई संवाददाता सम्मेलन इसलिए नहीं किया क्योंकि यह राष्ट्र हित में नहीं होता और हम ठहरे घोर राष्ट्रप्रेमी। इसीलिए हमने भ्रष्टाचार को तब तक होते रहने दिया जब तक कि उसे होते रहना था। आखिर हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कह जो दिया था कि हम खेल हो जाने के बाद किसी को नहीं छोड़ेंगे क्योंकि यह राष्ट्र हित है। अभी तो केवल यह देखना है कि खेल हों । खेल होने से राष्ट्र का नाम दुनिया में रोशन होगा। अब देखिए दुनिया हमारा लोहा मानने लगी न। तब तक एक दूसरी जनता ने फरमाया, अरे भाई ऐसे ही होता है। कोई देश ऐसे ही महान थोड़े ही बनता है। बड़ी तपस्या करनी पड़ती है। वैसे भी भ्रष्टाचार कोई दुनिया थोड़े ही न देखती है। दुनिया को क्या पता कि एक की जगह दस लगाया और वह भी अपनों के बीच ही बांट लिया । आखिर यह सब देश का नाम ऊंचा करने के लिए ही तो किया गया। अब अगर खेल के दौरान कर्फ्यू जैसी व्यवस्था कर लोगों को घरों में कैद कर दिया गया तो इसीलिए न कि कोई राष्ट्र को ऊंचा होता हुआ देख न सके।

क्रमश

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