पहले भी कई बार लगा था
लगा ही नहीं
पूरा विश्वास हो गया था कि
कमजोर होगे तो भोगोगे
तब भी लगता था
कहीं न कहीं, कम से कम
सुनी तो जाएगी कमजोर कि आवाज
पर अब तो इससे भी उठने लगा है विश्वास
अब तो यह भी कह दिया जा रहा है कि
देर से आओगे तो नहीं माना जायेगा दावा
तुम्हारे दावे में भी नहीं है कोई दम
क्योंकि तुम संख्या में भी हो कम
ऐसे में तुम्हारी आस्था भी है कम
इसलिए हमें भाई उनकी आस्था
और उसी पर हो गया हमें विश्वास
हालाँकि उनका दावा भी था कमजोर
पर उनकी संख्या थी जिआदा
और उनकी आस्था भी थी जोरदार
सो उन्हें ही मान लिया असली हक़दार
ऐसे में भला बतइए हमारे लिए क्या बचा
हमारी ही नहीं बहुतायत कि आस्था थी जिसमें
उसी ने तोड़ दिया आस्था को
तब आखिर हमारे मुह से निकला
हे भगवान अब हमारा क्या होगा
या कहें अब तुम्हारा क्या होगा.
मोदी, भाजपा व संघ को भारत से इतनी दुश्मनी क्यों?
2 years ago
No comments:
Post a Comment