Sunday, February 28, 2010

जबरदस्ती कि ख़ुशी

जरा सोचिए
जब आपका मन दुखी हो
आपके पास कुछ भी न हो
खुश होने के लिए
और आपसे कहा जाए
खुश होने के लिए
सिर्फ इतना ही नहीं
ख़ुशी का इजहार करने के लिए
जरा अंदाजा लगाइए
कितना तकलीफदेह होगा
इस तरह का अहसास
वे आते हैं बहाने बनाकर
कभी त्योहारों के बहाने
कभी परम्रम्पराओं के बहाने
यह अलग बात है कि
त्योहारों और परम्रम्पराओं से
नहीं होता उनका कोई लेना-देना
वे तो सिर्फ उनको दिखने के लिए
खुश होने का नाटक करते हैं
जो लगातार दुःख पहुँचाता है
वे खुद भी हमेशा अपने यवहार से
किया करते हैं प्रताड़ित
पर हम तो मजबूर हैं
उनकी प्रताड़ना सहने को
हम नहीं कर सकते
जबरदस्ती खुश करने का विरोध भी
क्यिओंकी वे कह देंगे
हम खुश नहीं हैं
इसका मतलब हम दुखी हैं
और दुखी होने का मतलब
जानते नहीं आप
यह साबित किया जा सकता है
बहुत बड़ा अपराध और
आपको भुगतनी पड़ सकती है
इसकी बहुत बड़ी सजा
अगर आप तैआर हैं इसके लिए
तभी जाहिर करिएगा अपना दुःख

1 comment:

वर्षा said...

ख़ुश रहें ख्वामखाह भी और दूसरों की ख़ुशी में ही अपने दुख को होम कर दें। वरना खुशी तो त्योहारों की शक्ल में आ जाती है कम से कम, दुखी होना तो बहुत आसान है।