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दिमाग
आइए देखते हैं
, कैसे होता है
बड़ी जिम्मेदारी वाला काम
और कैसे तय होती हैं चीजें
एक अधिकारी ने सहयोगी से कहा
तुमने इसे इतना छोटा क्यों कर दिया
सहयोगी ने कहा, यह इतना ही है
बाकी सब इसी का दोहराव है
अधिकारी ने कहा, जो मैंने कहा वही करो
सहयोगी अपनी बात पर अड़ा और कहा
पहले बताना चाहिए था सिफारिशी है
मैं अपनी ओर से और बड़ा कर देता
अधिकारी ने कहा, छोटा-बड़ा मत करो
जितना मैंने कहा, बस उतना ही करो
अपना दिमाग लगाने की कोशिश मत करो
इसके बाद अधिकारी खुद से ही बतियायाबताइए भला, ये सब समझता ही नहीं
आदेश बजाने के बजाय दिमाग लगाता है
हम क्या कभी अपना दिमाग लगाते हैं ? हम तो सिर्फ वही करते हैं जो कहा जाता है
इसीलिए हम अधिकारी हैं और तुम कर्मचारी
इस ब्रह्मवाक्य को समझने की कोशिश करोबच्चा देश ऐसे ही चलता है।
1 comment:
बिल्कुल सही कहा अधिकारी ने...
सेना इसीलिए ठीक चल रही है... किसी को सोचने की इजाज़त नहीं.... बस पैर पटके जाओ.... जो कहा जाए- किए जाओ... जो शिकायत करे उसका कोर्ट मार्शल
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