Monday, September 20, 2010

पाश कि कविताओं का पाठ

झमाझम बारिश किसी के लिए भी बढ़िया बहाना हो सकती थी न आने के लिए लेकिन ऐसा हुआ नहीं, छाते का सहारा लेने के बावजूद भीगते हुए और घुटनों तक पानी में चलकर लोग अगर गोष्ठी में पहुच गए तो इसीलिए की वे अपने कार्य के लिए सजग और प्रतिबद्ध हैं. यह गोष्ठी बैठक की थी और इसमें प्रतिष्ठित कवि पाश की कविताओं का पाठ किया जाना था. तय समय से करीब एक घंटे देर से शुरू गोष्ठी चली भी करीब एक घंटे देर तक क्योंकि पाश की कई कविताओं का पाठ तो किया ही गया, विस्तार के साथ उनके जीवन, जीवन संघर्ष, उनकी रचनाओं, अनुवाद और कविता के विभिन्न पक्छ पर विस्तार से बात हुई. पाश की कविताओं और उनके जीवन संघर्ष पर प्रकाश चौधरी ने प्रकाश डाला. बाद में उन्होंने कई कविताएँ भी पढ़ीं. कुछ कविताएँ कृष्ण सिंह, राम शिरोमणि शुक्ल और लाल रत्नाकर ने भी पढ़कर सुनाई. लाल रत्नाकर ने पाश की एक कविता का खुबसूरत पोस्टर भी प्रदर्शित किया. पार्थिव ने इस दौरान कविता से सम्बंधित कई बातें रखी. इस तरह के कार्यक्रमों का अपना विशेष महत्व होता है जिसे शिद्दत से महसूस किया गया और जिआदा विस्तारित करने पर भी विचार किया गया. एहां यह उल्लेखनिया है की सितम्बर में ही पाश का जन्म हुआ था. पाश की कविताओं को सुनते हुए ऐसा लगा की यह बहुत महत्वपूर्ण हैं जीवन को बेहतर तरीके से समझने के लिए. इसके साथ ही यह जरूरत भी महसूस की गई कि इन्हें अधिक से अधिक लोगों को पढवाया भी जाना चाहिए. इसके लिए कई सुझाव भी सामने आए जिसमे पोस्टर बनाया जाना भी शामिल था. फ़िलहाल लाल रत्नाकर के सौजन्य से एक वीडियो क्लिप यू टूब पर डाली गई जहाँ देखा और सुना जा सकता है. प्रकाश चौधरी जी से निवेदन किया गया कि वह विस्तार से पाश और उनकी कविताओं के बारे में लिखेंगे और उसे पाठकों के सामने लाया जाएगा. कुल मिलाकर एक सारगर्भित गोष्ठी रही.

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