Wednesday, November 3, 2010

राहुल का गरीब प्रेम

आज दिनांक दो नवंबर २०१० को नई दिल्ली में हुए कांग्रेस अधिवेशन में पार्टी महासचिव राहुल गांधी का भाषण सुनते हुए ऐसा लग रहा था जैसे कुछ नई जानकारियां मिल रही हैं। उनके भाषण के दौरान इतनी तालियां बज रही थीं कि लग रहा था जैसे अधिवेशन में शामिल पार्टी नेताओं को अमृत वचन सुनाई दे रहा था। वैसे उनके लिए तो ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि इसके अलावा वे और कुछ कर भी नहीं सकते। राहुल उनके नेता जो हैं और नेता जो कहेगा वही तो उनके लिए अंतिम सत्य होगा। राहुल गांधी ने एक आप्त वचन पेश किया-अब दो हिंदुस्तान बन गए हैं। मुझे अचानक ऐसा लगा जैसे यह अपने आप हो गया। जाहिर है दो हिंदुस्तान अपने आप तो नहीं बन सकता। कोई न कोई तो उसे बना रहा होगा? और वह आखिर कौन होगा। जिसके हाथ में सत्ता होगी, वही तो ऐसा कर सकेगा। सत्ता उन्हीं की पार्टी कांग्रेस के हाथों में है। पिछले कई सालों से है और इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि ऐसा हो रहा है या हो गया है तो इसका श्रेय भी कांग्रेस को ही जाता है। इस लिहाज से माना जाए तो यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस अपने उद्देश्य में सफल हो रही है। शायद इसीलिए राहुल गांधी के साथ अधिवेशन मे शामिल सभी कांग्रेसी गदगद थे कि उनका और उनके नेता का अथक प्रयास कारगर साबित हो रहा है। वे इस मुगालते में भी होंगे कि देश की जनता (जो उनके शब्दों में गरीब है) भी इसके लिए उनका शुक्रिया अदा कर रही होगी। शायद इसीलिए वे बात को आगे बढ़ाते हैं कि एक हिंदुस्तान तेजी से बढ़ रहा है लेकिन दूसरा जो गरीबों का है, वह बंद पड़ा है। अब यह बंद पड़ा है तो फिर सवाल उठता है कि अपने आप तो नहीं बंद पड़ा है। इसे कोई न कोई तो बंद रखे हैं। यह भी सरकार और सत्ताधारी पार्टी और उसकी नीतियां ही करती हैं। यहां यह बताने की जरूरत नहीं कि देश में कांग्रेस की सरकार है। जाहिर है देश की स्थिति का श्रेय भी उसी कांग्रेस को जाता है जिसके महासचिव राहुल गांधी ही हैं। निश्चित रूप से कांग्रेसी अपनी पार्टी और अपने नेता की इस बड़ी उपलब्धि पर जोरदार ताली तो बजाएंगे ही जो उन्होंने ऐसा ही किया। कांग्रेसियों के बीच देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे कांग्रेसियों के नेता राहुल गांधी यहीं तक सीमित नहीं रहे। वह और आगे बढ़ गए। दरअसल जब हर बात पर तालियां बजाने वाले श्रद्धावनत श्रोता सामने हों तो कोई भी नेता कुछ भी कह सकता है। राहुल गांधी ने भी कहा, इन दोनों हिंदुस्तान को जोड़ने का काम कांग्रेस कर रही है और आने वाले समय में यह दूसरा हिंदुस्तान, गरीबों का हिंदुस्तान, तेजी से आगे बढ़ेगा। हम गरीबों के लिए काम करेंगे। यह सब सुनते ही मुझमें एक अजीब किस्म का डर घर कर गया। किसी को पहले भी गरीबों को कोई उम्मीद नहीं थी। इससे तो साफ हो गया कि गरीबों का हिंदुस्तान तेजी से आगे बढ़ेगा। यह इसलिए कि राहुल ने आगे और स्पष्ट किया कांग्रेस ही गरीबों को आगे ले जा सकती है। उन्होंने अपना बहुमूल्य अनुभव भी बताया कि गरीब की शक्ति ही हमारी पार्टी को आगे ले जा सकती है। किसी को भी यह साफ समझ में आएगा कि कांग्रेस को आगे ले जाना है (जाहिर है सभी कांग्रेसी यह चाहते होंगे कि कांग्रेस आगे जाए) तो गरीब और गरीबी को भी आगे ले जाना होगा आखिर तभी तो कांग्रेस आगे बढ़ेगी। इसका ध्वन्यार्थ यही निकलता है कि दोनों हिंदुस्तान तेजी से बढ़ेंगे और गरीब तथा गरीबी भी अभी और आगे बढ़ेगी। इसीलिए कांग्रेसी खुश हो रहे होंगे और जोरदार तालियां बजा रहे होंगे? लेकिन गरीब तो कम से दुखी ही होगा।
यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि यह महज संयोग नहीं है कि जिस दिन दिल्ली में कांग्रेस का अधिवेशन हो रहा था और राहुल गांधी गरीब और गरीबी और प्रवचन कर रहे थे उसी दिन देश की आर्थिक राजधानी मानी जाने वाली मुंबई मे आरबीआई छमाही मौद्रिक और त्रण नीति की समीक्षा प्रस्तुत कर रही थी। इसमे आरबीआई ने रेपो और रिवर्स रेपो दर में वृद्धि की घोषणा की। रेपो और रिवर्स रेपो दर वैसे भी किस गरीब को समझ में आएगी? शायद इसीलिए गरीब इसी बात पर खुश हो जाता है कि राहुल गांधी गरीबों की बातें कर रहे हैं लेकिन उनका जो बढ़ता हुआ हिंदुस्तान है उसके उद्योगपतियों ने इस बढ़त को अर्थव्यवस्था की वृद्धि के खिलाफ बताया है। रियल स्टेट कंपनियां भी इस सख्ती से खुश नहीं हैं। उनकी खुशी नाखुशी का तो दूसरे हिंदुस्तान और उसकी पार्टी कांग्रेस को मतलब होता है लेकिन दूसरे हिंदुस्तान गरीबों के लिए इसका दूसरा ही मतलब है। जानते हैं अंग्रेजी के यह अर्थशास्त्री शब्द रेपो और रिवर्स रेपो का मतलब यह होता है कि आम आदमी के छोटे-छोटे सपनों के घर सपने ही रह जा सकते हैं। इससे यह पता चलता है कि गरीब सिर्फ भाषण के लिए होते हैं, उनकी चिंता किसी को नहीं होती। रिजर्व बैंक की इस सख्ती का सर्वाधिक असर गरीबों पर ही पड़ेगा क्योंकि होम लोन महंगा हो जाएगा। किसी भ्रम में न रहिएगा कि राहुल गांधी गरीबों के लिए कुछ करने वाले हैं वे गरीबों को आगे बढ़ाने के नाम पर गरीबी को आगे बढ़ाते रहेंगे ताकि उनकी पार्टी कांग्रेस आगे बढ़ती रहे। अगर आप भी यही चाहते हैं तब तो कोई बात नहीं लेकिन अगर चाहते हैं कि गरीबी खत्म हो और सभी को बराबरी का मौका मिले तो राहुल गांधी के कहे का अर्थ अच्छे से समझिए नहीं तो कांग्रेस का भविष्य तो बनता जाएगा, दूसरा हिंदुस्तान भी मजबूत होता जाएगा पर गरीबों का बंटाढार हो जाएगा।

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