रविवार २२ अगस्त को बैठक की ओर से आयोजित संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार तड़ित कुमार ने अपने नए उपन्याश के एक हिस्से का पाठ किया . इसके बाद उस पर उपस्थित सभी सदस्यों ने अपनी बात विस्तार से रखी और कई सम्बंधित विषयों पर गंभीर बहस हुई जिससे ऐसा लगा कि जब यह छप कर आएगा तो निश्चित रूप से पाठकों को काफी पसंद आएगा . उपनिअश में जिस तरह के बिम्बों और प्रतीकों का प्रयोग किया गया है उसकी करीब सभी ने प्रशंसा कि . चर्चा के दौरान उपन्याश लेखन और पाठकों तक कि स्थिति पर भी लोगों ने अपनी बातें रखी. हिंदी भाषा और बोलीओं को लेकर भी बातें सामने आईं. इस पर भी प्रस्ताव आया कि भाषा को लेकर अलग से एक बार गोष्ठी कि जाए. गोष्ठी के दौरान मुझे इलाहाबाद के परिवेश संस्था के वे दिन याद आए जब रचनाएँ पढ़ी जाती थी और उन पर गंभीर बहसें हुआ करती थी . गोष्ठी में सर्वश्री विनोद वर्मा, अनिल दुबे, लाल रत्नाकर, सुदीप ठाकुर, प्रकाश चौधरी, शम्भू भद्रा, पार्थिव, श्रवण कुमार और राम शिरोमणि शुक्ल ने विचार रखे. गोष्ठी श्रवण के आवास पर हुई. अगली गोष्ठी ०५ सितम्बर को कृष्ण भवन वैशाली में ११ बजे होगी जिसमे बाबा नागार्जुन कि कविताएँ पढ़ी जाएंगी.
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