Thursday, January 28, 2010
गणतंत्र दिवस
कल एक टीवी सीरिअल को देखते हुए हम लोग अचानक एक खास विषय पर बात करने लगे जब हमारी बेटी संध्या ने कहा क़ि हाँ, सही बात है अब अच्छे कार्यक्रम कहाँ होते हैं. अपनी सोसाटी में ही देखिए गणतंत्र दिवस पर क्या हुआ. झंडा फहराया गया यह अच्छी बात है पर कोई बात नहीं की गई . देखिए नए साल पर इन्ही लोगों ने आर्केस्ट्रा रख दिया और वहां कितनी अराजकता हुई. अगर गणतंत्र दिवस पर कोई गोष्ठी ही रखी गई होती तो लोगों को कम से कम अपने नायकों के बारे में कुछ पता चलता और उनके आदर्शों से हमें कुछ सीखने को कुछ मिलता . मुझे लगा वाकई यह बहुत महत्वपूर्ण बात है . इसी के साथ मुझे यह भी लगा क़ि संभव है क़ि ऐसा जानबूझ कर किया जा रहा हो . मुझे याद आया क़ि पहले स्कूलों में गणतंत्र दिवस बहुत उत्साह से मनाया जाता था . अब तो उस दिन छुट्टी कर दी जाती है . तब इस दिन के प्रधानाचार्य के भाषण सुनकर भगत सिंह और चंद्र्शेखेर आजाद बनने का मन करता था . अब शायद लोगों को इन महापुरुषों क़ि जरूरत नहीं रह गई है .
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1 comment:
Are vah Hindi. Lekin Ap Rajes Dob ko bulaaiye, wo aisa kar denge ki seedhe phonetic men type kar sakenge
Word Verification hata dejiyega Ji.
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