वो आते हैं और हमें बताते हैं
वो आने से पहले अंदर होते हैं
अंदर वो कुछ बोलते नहीं
सिर्फ चुपचाप सुनते हैं
अंदर जो कुछ सुनते हैं
वही बाहर आकर बोलते हैं
तब वह ब्रह्मवाक्य होता है
दूसरों के लिए आदर्श होता है
बताने वाले को सुनने से पहले
कुछ पता नहीं होता है
अंदर जाने से पहले
जब वह बाहर होता है
तब उसे कुछ पता नहीं होता है
येही उसकी सबसे बड़ी काबिलिअत है
क्या अब भी यह बताने की जरूरत है
वह कौन हैं और क्या कर रहें हैं
हाँ , मैं आपको बताता हूँ
वह सब कुछ नष्ट कर रहे हैं .
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