वो बहुत महान हैं
ऐसा वो बताते फिरते हैं
जबकि वास्तविकता में
वो हैं कुछ भी नहीं
सच कहें तो वो
आदमी भी नहीं हैं
अगर ऐसा होता तो
उनके अंदर आदमी का
कोई लक्चन तो होता
उन्हें मजा आता है
दूसरों को दुःख पहुँचाने में
यह अलग बात है कि
वो खुद रहते हैं बहुत दुखी
इसलिए नहीं कि
वो दूसरों को दुःख पहुंचाते हैं
बल्कि इसलिए कि
जिन्हें वो सुख पहुँचाना चाहते हैं
उनके लिए कुछ नहीं कर पाते
मैं उन्हें जानता हूँ
वो आदर्श बघारते हैं
पर करते हैं हमेशा
उसके उल्टा
वो बड़ी-बड़ी डींगें हांकते हैं
मुझे ये मिल जाता तो
मैं वो कर देता
वो मिल जाता तो वो कर देता
यह अलग बात है कि
जो उन्हें मिला है
उसमें कुछ नहीं कर पाते
असल में कुछ कर ही नहीं सकते
क्योंकि उनके पास अपना कुछ भी नहीं है
उन्होंने केवल एक चीज सीखी है
वोह है दूसरों को दुःख पहुँचाना
इसीलिए वोह महान हैं
इसी के लिए उन्हें चाहिए
असीमित अधिकार
ताकि जो कुछ बचा है अच्छा
उसे भी वोह कर सकें
पूरी तरह नष्ट
मैं बताऊँ आपको वोह कौन हैं
वो ध्रितराष्ट्र हैं
जिन्हें दुर्योधन के अलावा
कुछ नहीं दिखता
येही है उनकी महानता
इसी इके आधार पर
उन्हें दे दिया गया है
नियम बनाने और उन्हें
लागू करने का असीमित अधिकार
अब आप सोच सकते हैं
वो कैसे नियम बनायेंगें
और किन पर किस तरह लागू करेंगे ?
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