वो आते हैं और हमें बताते हैं
वो आने से पहले अंदर होते हैं
अंदर वो कुछ बोलते नहीं
सिर्फ चुपचाप सुनते हैं
अंदर जो कुछ सुनते हैं
वही बाहर आकर बोलते हैं
तब वह ब्रह्मवाक्य होता है
दूसरों के लिए आदर्श होता है
बताने वाले को सुनने से पहले
कुछ पता नहीं होता है
अंदर जाने से पहले
जब वह बाहर होता है
तब उसे कुछ पता नहीं होता है
येही उसकी सबसे बड़ी काबिलिअत है
क्या अब भी यह बताने की जरूरत है
वह कौन हैं और क्या कर रहें हैं
हाँ , मैं आपको बताता हूँ
वह सब कुछ नष्ट कर रहे हैं .
Sunday, April 18, 2010
Saturday, April 17, 2010
समझना
जब कोई कहता है
उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है
मुझे लगता है
उसे इतनी समझ तो है
कि उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा
इसी से मुझे पता चलता है
वह सब कुछ समझता है
लेकिन करता रहता है
न समझने का नाटक
नाटक सिर्फ देखने और दिखाने
में ही लगता है अच्छा
उसके पीछे कि सच्चाई
बहुत कडवी होती है
जरूरत है उससे बचने की .
उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है
मुझे लगता है
उसे इतनी समझ तो है
कि उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा
इसी से मुझे पता चलता है
वह सब कुछ समझता है
लेकिन करता रहता है
न समझने का नाटक
नाटक सिर्फ देखने और दिखाने
में ही लगता है अच्छा
उसके पीछे कि सच्चाई
बहुत कडवी होती है
जरूरत है उससे बचने की .
Monday, April 5, 2010
Sunday, April 4, 2010
उनकी महानता
वो बहुत महान हैं
ऐसा वो बताते फिरते हैं
जबकि वास्तविकता में
वो हैं कुछ भी नहीं
सच कहें तो वो
आदमी भी नहीं हैं
अगर ऐसा होता तो
उनके अंदर आदमी का
कोई लक्चन तो होता
उन्हें मजा आता है
दूसरों को दुःख पहुँचाने में
यह अलग बात है कि
वो खुद रहते हैं बहुत दुखी
इसलिए नहीं कि
वो दूसरों को दुःख पहुंचाते हैं
बल्कि इसलिए कि
जिन्हें वो सुख पहुँचाना चाहते हैं
उनके लिए कुछ नहीं कर पाते
मैं उन्हें जानता हूँ
वो आदर्श बघारते हैं
पर करते हैं हमेशा
उसके उल्टा
वो बड़ी-बड़ी डींगें हांकते हैं
मुझे ये मिल जाता तो
मैं वो कर देता
वो मिल जाता तो वो कर देता
यह अलग बात है कि
जो उन्हें मिला है
उसमें कुछ नहीं कर पाते
असल में कुछ कर ही नहीं सकते
क्योंकि उनके पास अपना कुछ भी नहीं है
उन्होंने केवल एक चीज सीखी है
वोह है दूसरों को दुःख पहुँचाना
इसीलिए वोह महान हैं
इसी के लिए उन्हें चाहिए
असीमित अधिकार
ताकि जो कुछ बचा है अच्छा
उसे भी वोह कर सकें
पूरी तरह नष्ट
मैं बताऊँ आपको वोह कौन हैं
वो ध्रितराष्ट्र हैं
जिन्हें दुर्योधन के अलावा
कुछ नहीं दिखता
येही है उनकी महानता
इसी इके आधार पर
उन्हें दे दिया गया है
नियम बनाने और उन्हें
लागू करने का असीमित अधिकार
अब आप सोच सकते हैं
वो कैसे नियम बनायेंगें
और किन पर किस तरह लागू करेंगे ?
ऐसा वो बताते फिरते हैं
जबकि वास्तविकता में
वो हैं कुछ भी नहीं
सच कहें तो वो
आदमी भी नहीं हैं
अगर ऐसा होता तो
उनके अंदर आदमी का
कोई लक्चन तो होता
उन्हें मजा आता है
दूसरों को दुःख पहुँचाने में
यह अलग बात है कि
वो खुद रहते हैं बहुत दुखी
इसलिए नहीं कि
वो दूसरों को दुःख पहुंचाते हैं
बल्कि इसलिए कि
जिन्हें वो सुख पहुँचाना चाहते हैं
उनके लिए कुछ नहीं कर पाते
मैं उन्हें जानता हूँ
वो आदर्श बघारते हैं
पर करते हैं हमेशा
उसके उल्टा
वो बड़ी-बड़ी डींगें हांकते हैं
मुझे ये मिल जाता तो
मैं वो कर देता
वो मिल जाता तो वो कर देता
यह अलग बात है कि
जो उन्हें मिला है
उसमें कुछ नहीं कर पाते
असल में कुछ कर ही नहीं सकते
क्योंकि उनके पास अपना कुछ भी नहीं है
उन्होंने केवल एक चीज सीखी है
वोह है दूसरों को दुःख पहुँचाना
इसीलिए वोह महान हैं
इसी के लिए उन्हें चाहिए
असीमित अधिकार
ताकि जो कुछ बचा है अच्छा
उसे भी वोह कर सकें
पूरी तरह नष्ट
मैं बताऊँ आपको वोह कौन हैं
वो ध्रितराष्ट्र हैं
जिन्हें दुर्योधन के अलावा
कुछ नहीं दिखता
येही है उनकी महानता
इसी इके आधार पर
उन्हें दे दिया गया है
नियम बनाने और उन्हें
लागू करने का असीमित अधिकार
अब आप सोच सकते हैं
वो कैसे नियम बनायेंगें
और किन पर किस तरह लागू करेंगे ?
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