कल गोरख पांडे की एक आडियो सीडी के माधिअम से उनके कुछ गीत और कुछ कविताएँ सुनने को मिलीं । अछा लगा लेकिन एक बात खली । उन्हें जिस तरह प्रस्तुत किया गया उससे उन गीतों का वास्तविक प्रभाव जाता रहा । लगता रहा जैसे लड़ाई के समय गाए जाने वाले गीत को मंगल गीत की तरह गाया गया हो । कितना अच्छा होता अगर इसका ख्याल रखा गया होता । फ़िर भी इसके लिए सीडी बनने वाले बधाई के पात्र हैं ।
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