ऐसे समय में सच्चाई को सामने लाना अथवा उस तरह के विचारों को अभिव्यक्त कर पाना बेहद कठिन है। यह वह छटपटाहट है जो हर उस शख्स के साथ है जो वास्तव में देशभक्त है, जो यह चाहता है कि आदमी बना रहे, जिसकी इच्छा है एक सभ्य समाज बने और हर कोई ईमानदारी से सोचे और काम करे। लेकिन शायद सिस्टम को यह नहीं चाहिए और न उसे किसी भी कीमत पर मंजूर है। ऐसे में वह तरीके खोजने होंगे जिनके माध्यम से सच्चाई सामने आ सके। सच्चाई सामने आएगी तभी नीर क्षीर का विवेक विकसित हो सकेगा और यह पता चल सकेगा कि क्या किया जाना चाहिए औऱ क्या नहीं।
अगर ऐसा नहीं होगा तो कुछ दिखेगा और ज्यादा चमकीले लेबल के साथ सामने आएगा, जो झूठ के माध्यम से अपने को सच की तरह प्रस्तुत कर सकेगा, वही लगेगा कि अंतिम सच है। यह सिथति बहुत खतरनाक होगी। दुभार्ग्य से यही हो रहा है। इसे रोकना होगा। छल-छद्म को बेनकाब करना होगा। यह जिम्मेदारी हम सभी के ऊपर है, खासकर उनके ऊपर जो चाहते हैं सच आगे बढ़े। जो बेहतर समाज औऱ देश का निमार्ण करना चाहते हैं। अगर आपके अंदर यह सब है तो आइए इसके लिए शुरुआत करें। देखते हैं क्या होता है।
फोटो साभार - about a boy
2 comments:
सच्चाई के रास्ते में अवरोध-गतिरोध कैसा। शुरू हो जाइये। आवाज़ किसी न किसी कान तक तो अवश्य पहुंचेगी।
सबसे ज्यादा अवरोध इसी राह में होते आये हैं
Post a Comment